असहिष्णुता पर दिये गए बयान पर अमीर की चारो तरफ तीखी आलोचना

तारे जमीं पर, थ्री इडियट, लगान जैसी समाज को संदेश देने वाली फिल्में करने वाले मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान के असहिष्णुता के बयान पर तीखी बहस छिड़ गई है। उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान एक बेहद कड़ा बयान दे दिया था। उन्होंने कहा था कि उनकी पत्नी किरण राव तो देश छोड़ने तक की बात कहती हैं।उनके इस बयान से देश के सभी हिंदू और मुस्लिम ही नहीं नाराज हैं बल्कि उनके आबाई (पैतृक) गांव अख्तियारपुर के लोग भी सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि सारे जहां से हिंदोस्तां हमारा है।गांववालों का कहना है कि एक दो घटनाओं से देश का माहौल खराब नहीं होता है। देश में सभी लोग मिलजुलकर रहते हैं। यही हमारी तहजीब है। नफरत फैलाने वालों को लोग धूल चटा देते हैं। इसलिए आमिर का बयान गैर जिम्मेदाराना है। उनसे इस तरह के बयान की तो कतई उम्मीद तक नहीं की जा सकती है। आमिर पर फक्र करने वाले उनके गांव के लोग उनके बयान से निराश दिखे। उनका कहना था कि इससे हम लोगों को भी पीड़ा पहुंची है। भाई भतीजों की नजर में ही आमिर गलत हैं।परिचय- डा. नईम अख्तर खां, आमिर खां के चचेरे भाई
मेरा तो आमिर खां से खून का रिश्ता है। यह देश किसी एक का नहीं है। यहां सभी मजहब के मानने वालों को पूरी आजादी है। आमिर के देश छोड़ने तक की बात कहने पर बड़ा धक्का लगा है। आमिर तो देश के नायक हैं। कैसे वह ऐसा बोल गए यह समझ में नहीं आ रहा है। हमारे विदेशों में रहनेवाले रिश्तेदार भी गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल देते हैं।परिचय- आफरीन खां, आमिर की भतीजी
आमिर तो मेरे चाचा हैं। उन पर हम सभी को फक्र है। इसके बाद भी इस तरह कहना है कि उनकी पत्नी बहुत डरी हुई हैं। वह अखबार भी खोलने से डरने लगी हैं। ऐसी बात तो कहीं नजर नहीं आती है। देश में पहले जैसे ही अच्छे हालात हैं। दादरी कांड के खिलाफ मुसलमानों से ज्यादा हिंदू बोले। ऐसे में हालात खराब नहीं हो सकते हैं।परिचय- एकतदार हुसैन, चचेरे भाई
मेरे भाई को कुछ गलतफहमी हो गई है। मुंबई में कुछ दिनों पहले जो कालिख पोतने की घटना हुई। वह उससे आहत होंगे। इसके अलावा देश में बहुत खुशनुमा माहौल है। हमारे कोई भी रिश्तेदार बाहर से भी ऐसा नहीं बताते कि देश के हालात ठीक नहीं है। यह देश अपना है और मरते दम तक अपने वतन से वफादारी का पैगाम हमें इस्लाम ने दिया है।परिचय- माखन लाल, अस्सी वर्षीय बुजुर्ग
मैंने तो आमिर के चाचा- दादा के साथ खेला है। यहां का माहौल अभी वही है। यहां के हिंदू-मुस्लिम बच्चे अपने गांव के बुजुर्गों को सम्मान करते हैं। वह धर्म के लिहाज से फर्क नहीं करते हैं। आमिर को माहौल खराब लगता है तो कहीं जाने की जरूरत नहीं बच्चों को अख्तियारपुर भेज दें। यहां पर किसी तरह की मजहबी भेदभाव नहीं है।परिचय- सर्वेश कुमार, आमिर के पड़ोसी
मेरे मकान तो आमिर के मकान से सटा है। जिस तरह हम सब मिलकर गांव में एक साथ रहते हैं। इसी तरह देश में भी सभी लोग मिलजुल कर रह रहे हैं। आमिर तो खुद इसकी बड़ी मिसाल हैं। इससे बाद भी उनका इस तरह बयान देना समझ में नहीं आ रहा है। हमें उम्मीद है कि वह खुद देश में कौमी एकता की बात फिर मीडिया से कहेंगे।परिचय- बालकराम, बुजुर्ग
देश में कतई ऐसे हालात नहीं हैं। इस तरह की बयानबाजी ठीक नहीं है। इससे गांव के लोग भी आहत हुए हैं। गांव के लोगों ने कभी हिंदू-मुस्लिम में कोई फर्क कभी महसूस किया। फर्क तब महसूस किया जाए जब दोनों धर्म के लोगों के पैदा होने और मरने के तरीकों में कोई फर्क होता। जब सब एक जैसा है तो क्यों इंसानों के बीच फर्क आखिर क्यों।परिचय- विनोद कुमार
आमिर के पैतृक गांव के घर से सटी गली में रहते हैं। बचपने से ही उनके बारे में सुना और देखा है। वह तो खुद हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल हैं। देश में ऐसा कुछ भी नहीं हो गया जिससे यहां रहने में लोगों को घुटन महसूस हो सके। देश का माहौल बहुत ही अच्छा है। सब मिलजुलकर अच्छा माहौल बनाएं। अनेकता में ही एकता है।

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